तेरे अंचल की मृदुल - छाँव ममता ले तेरी बढ़े पाँव। तेरे अंचल की मृदुल - छाँव ममता ले तेरी बढ़े पाँव।
प्रेम सदा जीवित रहता है दिल की धड़कन बनकर! प्रेम सदा जीवित रहता है दिल की धड़कन बनकर!
बची है मकरंद की चंद बूंदें और सुवास भी अभी। बची है मकरंद की चंद बूंदें और सुवास भी अभी।
फूल फूल में ख़ुशबू थी, हवा में नई सुवास भरी थी फूल फूल में ख़ुशबू थी, हवा में नई सुवास भरी थी
हरगोविंद जाग अब, कर अब ही तू जो नहीं कर पाया.....! हरगोविंद जाग अब, कर अब ही तू जो नहीं कर पाया.....!
इस कविता में मैंने "प्रेम" को कुछ पंक्तियों द्वारा दर्शाया है | इस कविता में मैंने "प्रेम" को कुछ पंक्तियों द्वारा दर्शाया है |